1897 में बंगाल में भीषणअकाल,
रेंड और आयन नाम के अंग्रेज अफसरों की तैनाती की जाति है, पर ये लोगो की सुध लेने की जगह उन पर अत्याचार करते है,
ऐसे में बालक दामोदर काफी विचलित हो जाए
13 वर्ष की आयु में वह बालक हिन्दू पत्रिकामें तीव्र लेख लिखता है,
लेख पढ़ कर बंगाल के चाफेकर बंधूओ की भुजाओं के रक्त में जैसे लहर दोड उठती है,
वे दोनों अंग्रेज अफसरों को गोली मार देते है,
चाफेकर बंधुओ को फांसी दे दी जाति है,
ये बालक दामोदर और कोई नहीं, वीर सावरकर थे, घर में बने मंदिर में जाकर वे देवी की प्रतिमा के सामने खड़े होकर कहते है की अब राष्ट्र की रक्षा कौन करेगा,
कौन आएगा आगे,
तब वे देवी के सम्मुख स्वयं ही प्रतिज्ञा लेते है, की
अपनी सभी पूर्वजो और पितरो को साक्षी मान कर,
मातृभूमि पर मर मिटने वाले उन हुतात्माओ और बलिदानियों को साक्षी मान कर
मैं शपथ लेता हु की या तो चाफेकर बंधुओ की तरह बलिदान को प्राप्त होऊंगा या शिवाजी महाराज की तरह विजयी होकर आऊंगा,

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